Monday, December 11, 2023
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    विदेशों से भारतीय गौरव ‘धरोहर’ को वापस लाएगी सरकार: केंद्रीय सचिव G-20 में रखेंगी विरासत वापसी का पहला प्रस्ताव, अब तक स्वदेश लौटी 320 वस्तुएं

    वाराणसी28 मिनट पहले

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    लिली पाण्डेय, केंद्रीय संयुक्त सचिव भारत सरकार

    भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को पुनर्जीवित करने का रास्ता वाराणसी के जी-20 समिट में खुलेगा। विदेशों में ‘कैद’ भारतीय गौरव का प्रतीक ऐतिहासिक धरोहरों को लौटाने की आवाज बुलंद होगी। CWG में प्रचीनकालीन वस्तुओं को लौटाने पर 20 देश हस्ताक्षर कर सहमति देंगे।

    वाराणसी में संस्कृति मंत्रायल में केंद्रीय संयुक्त सचिव लिली पाण्डेय ने बताया कि सरकार भारतीय कलाकृतियों और सांस्कृतिक विरासत को वापस लाने के लिए साकारात्मक प्रयास कर रही है।वाराणसी जी-20 की सांस्कृतिक कला समूह की इस बैठक का उद्देश्य चार मुद्दों पर मंथन है लेकिन पहला जी-20 देशों से अवैध तरीके से बाहर ले जाई गईं धरोहरों को वापस उनके मूल देशों तक लाना है। हमारी जीवंत धरोहर किस प्रकार वापस लाई जाए यही प्राथमिकता है। भारतीय मूल की प्राचीनकालीन वस्तुएं सही या गलत तरीकों से अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंच गई । असंख्य अमूल्य कलाकृतियां, जिनमें से कुछ का गहरा सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, वो चोरी हो गईं और विदेशों में तस्करी करके ले जाई गईं जो हर हाल में लौटाने की बात की जाएगी। पिछले सात वर्षों में 320 वस्तुएं वापसी आई हैं, जी 20 के वर्किंग ग्रुप में इसकी चर्चा होगी और हमारा लक्ष्य सफल होगा। हम मांग करेंगे कि केवल भारत ही नहीं बाकी देशों के लिए भी इसे लागू किया जाए।

    कनाडा से वाराणसी आई श्री अन्नपूर्णा माता की 100 साल पुरानी प्रतिमा।

    कनाडा से वाराणसी आई श्री अन्नपूर्णा माता की 100 साल पुरानी प्रतिमा।

    अब तक भारत लौटी 320 धरोहर

    भारत सरकार पिछले सात साल में 320 से ज्यादा बहुमूल्य मूर्तियों को वापस लाई है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, हालैंड, फ्रांस, कनाडा व जर्मनी से भारत की मूर्तियां वापस लाई गई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अमेरिका दौरे के समय भी उन्हें सांस्कृतिक महत्व की 157 मूर्तियां दी गई थीं। इससे पहले 2019 में भी देश के विभिन्न राज्यों से चोरी किए गए कई पुरावशेषों को वापस लाया गया था। सबसे अधिक पुरावशेष संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) व ऑस्ट्रेलिया से वापस लाए गए हैं। वापस लाईं मूर्तिंयों में मध्य प्रदेश से चोरी हुई पैरेट लेडी, जम्मू कश्मीर से दुर्गा महिषासुरमर्दिनी, वाराणसी की अन्नपूर्णा देवी की प्रतिमा शामिल हैं। 2014 से 238 मूर्तियों और कलाकृतियों को लाया गया, इसके अलावा अन्य वस्तुएं भी शामिल हैं। 2022 तक 307 प्राचीनकालीन वस्तुओं को भारत को अमेरिका ने लौटाया था, ये वस्तुएं तस्करी करके चुराई गई थीं, जिनकी कीमत लगभग 4 मिलियन अमेरिकी डॉलर थी।

    मूर्तियां लाकर लौटाया स्थलों का सम्मान

    वाराणसी में विगत वर्ष मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा कनाडा से लौटकर काशी आई है। वहीं जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल ने भारत दौरे में पर 90 के दशक में जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा से गायब हुई 10वीं सदी की महिषासुर मर्दनी की प्रतिमा लौटाने का ऐलान किया था। ये मूर्ति जर्मनी में स्‍टुटगार्ड के लिंडन म्‍यूजियम में थी। इसके अलावा हिंदू कवि संत माणिक कवि चावाकर की एक मूर्ति भी भारत आ चुकी है। कवि संत माणिक 850 से 1250 ईसवीं के बीच चोल काल के कवि थे, उनकी मूर्ति को चेन्‍नई के सिवान मंदिर से गायब कर दिया गया था। इसके अलावा 1000 साल पुरानी भगवान गणेश की मूर्ति भी भारत वापस आ चुकी है, पीएम नरेंद्र मोदी की 2014 में ऑस्‍ट्रेलिया यात्रा के दौरान भगवान नटराज की मूर्ति लौटाई गई थी। ऑस्ट्रेलिया ने 2022 में 29 धरोहर भारत को लौटाई थीं।

    वाराणसी में जानकारी देतीं केंद्रीय संयुक्त सचिव लिली पाण्डेय।

    वाराणसी में जानकारी देतीं केंद्रीय संयुक्त सचिव लिली पाण्डेय।

    थीम से प्रेरिक करेंगे मेजबान

    संयुक्त सचिव के अनुसार विदेशी मेहमानों के समक्ष जी-20 की थीम वसुधैव कुटु्बकम से प्रेरित सांस्कृतिक परियोजनाओं का एक मजबूत कार्यक्रम रखा गया है। अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चाइना, फ्रांस, जर्मनी, इंडिया, इंडोनेशिया, इटली, जापान, रिपलिक ऑफ कोरिया, मैकसिको, रसिया, साउदी अरब, साउथ अफ्रीका, तुर्कीये, यूनाईटेड किंगडम, ब्रिटेन, अमेरिका शामिल हैं। इन देशों में दुनिया की दो तिहाई आबादी रहती है। भारत सरकार इन देशों के जरिए प्रचीनकालीन कलाकृतियों को वापस लाने के लिए रोडमैप तैयार कर रही है। अब तक तैयार सूची के अनुसार धरोहरों में धार्मिक मूर्तियां, टैराकोटा और कांसे की बनी कलाकृतियां ज्‍यादा हैं।

    धरोहर लौटाने पर बना है अंतरराष्‍ट्रीय कानून

    देशों में मूर्ति चोरी साबित होने पर संबंधित देश को लौटाने की प्रक्रिया शुरू करने का कानून बना है. सभी यूरोपीय देश, अमेरिका और आस्ट्रेलिया में इससे जुड़े कानूनों को सख्ती से लागू किया गया है। यूनेस्को के 1970 कन्वेंशन में किसी भी देश के सांस्कृतिक संपत्ति के अवैध आयात, निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए घोषणा की गई थी। इसमें कहा गया कि दुनियाभर के सभी देशों की सांस्कृतिक धरोहरों की रक्षा बेहद जरूरी है, सांस्कृतिक संपत्ति के स्वामित्व का अवैध आयात, निर्यात और हस्तांतरण सांस्कृतिक विरासत की क्षति का कारण हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा में 2000 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 2015 तथा 2016 में सांस्‍कृतिक धरोहरों की तस्‍करी के मसले पर चिंता जताई थी।



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