Tuesday, November 28, 2023
spot_img
More

    Latest Posts

    योगी की आंख में धूल झोंकते अफसर: भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के दावे हवा-हवाई, ट्रांसफर सत्र खत्म फिर भी तबादलों का खेल जारी

    लखनऊ13 मिनट पहलेलेखक: ममता त्रिपाठी

    • कॉपी लिंक

    अपराधियों को तो यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मिट्‌टी में मिला दिया, लेकिन अधिकारी योगी की सोच को ही मिट्‌टी में मिलाने में जुट गए हैं। “सोच ईमानदार, काम दमदार” इसी नारे के साथ योगी सरकार दोबारा सत्ता में आई थी, मगर महज़ एक साल के भीतर ही सरकार के कई विभाग पूरी तरह से भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं।

    ये हम नहीं कह रहे, बल्कि विधानसभा में विभागवार पेश हुई ऑडिट रिपोर्ट भी चीख-चीख कर कह रही है। मुख्यमंत्री के आदेशों को उनके साथी मंत्री और अफसर ठेंगे पर रखते हैं। हैरत की बात ये है कि लोकतंत्र के निर्वाचित “महाराज” मुख्यमंत्री को उनकी नाक के नीचे चल रहे खेल की भनक तक नहीं लगती। जब पता चलता भी है तो अफसर ऐसी जलेबी बनाते हैं कि महाराज उसमें फंस जाते हैं।

    सख्त प्रशासन और भ्रष्टाचार पर जीरों टालरेंस की बातें उत्तर प्रदेश में महज कागजी जुमला बन कर रह गईं हैं। प्रदेश में मुख्यमंत्री के आदेशों को उनके मंत्री और अफसर तक गंभीरता से नहीं लेते और खुलेआम धज्जियां उड़ाते नजर आते हैं।

    सीनाजोरी का आलम ये है कि कई सरकारी आदेशों में साफ लिखा है कि एक तय समय सीमा के बाद मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद ही कोई आदेश संभव होगा, मगर अफसर दरियाई घोड़े की माफिक बिना डरे भ्रष्टाचार की नदी में डुबकी लगा रहे हैं और साथ मिल रहा है विभागीय मंत्रियों का। मुख्यमंत्री बेचारे आदेश पर आदेश देते रह जाते हैं।

    30 जून 2023 के बाद ट्रांसफर नहीं करने का सीएम ने दिया था आदेश
    प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने 7 जून 2023-2024 को तबादला नीति का सर्कुलर जारी करते हुए कहा था कि सभी सरकारी विभाग 30 जून तक अपने यहां ट्रांसफर पोस्टिंग कर लें। तबादला नीति के अनुसार हर विभाग में एक तबादला सत्र में 20 फीसदी विभागीय तबादले ही किए जा सकते हैं। 30 जून 2023 के बाद बिना मुख्यमंत्री के अनुमोदन के कोई भी ट्रांसफर नहीं किया जा सकेगा।

    लेकिन जड़ तक फैल चुके भ्रष्टाचार ने मुख्यमंत्री के आदेशों का लिहाज भी नहीं रखा। उत्तर प्रदेश के वित्त विभाग की कारस्तानी देखिए जिसने मुख्यमंत्री के आदेश को दरकिनार करते हुए 30 जून को तबादला नीति की आखिरी तारीख के बाद जुलाई और अगस्त के महीने में 100 से ज्यादा वित्त और लेखा सेवा के ग्रेड वन के अफसरों का तबादला कर दिया गया।

    मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने 7 जून 2023 को ट्रांसफर पॉलिसी जारी की थी।

    मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने 7 जून 2023 को ट्रांसफर पॉलिसी जारी की थी।

    ट्रांसफर पॉलिसी का नहीं रखा ध्यान
    हैरत की बात ये है कि ये सभी तबादले बिना मुख्यमंत्री के अनुमोदन के किए गए हैं। अफसरों के शातिरपन का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने ये सारे ट्रांसफर पदस्थापन के नाम पर किए जिसका ट्रांसफर पालिसी में कहीं भी जिक्र नहीं था।

    इतने बड़े स्तर पर हुए तबादले की पोल तब खुली जब अफसरों को उनकी नई तैनाती की जगह पर सैलरी देने के लिए विभाग के विशेष सचिव संजीव सिंह ने डायरेक्टर ट्रेजरी को चिट्‌ठी लिखी। जांच कि गई तो तबादलों का कोई आदेश विभाग के पोर्टल पर भी अपलोड नहीं किया गया है।

    सिंगल ऑर्डर से किए गए ट्रांसफर
    इन सबसे इतर सबसे चौंकाने वाली बात तो ये है कि सभी वित्त अधिकारियों के सिंगल ऑर्डर जारी किए गए हैं। वित्त विभाग के विशेष सचिव संजीव सिंह ने 1 अगस्त 2023 को डायरेक्टर ट्रेजरी (निदेशक कोषागार) को लिखे पत्र संख्या S-2-839/10-2023-61/2023 के तहत उत्तर प्रदेश वित्त एवं लेखा सेवा के स्थानांतरित/पदस्थापित अधिकारियों की अगस्त महीने की सैलरी नई जगह तैनाती की ट्रेजरी से कराए जाने का निर्देश दिया है।

    विशेष सचिव संजीव सिंह ने कोषागार निदेशक को सैलरी दिए जाने के लिए पत्र लिखा था।

    विशेष सचिव संजीव सिंह ने कोषागार निदेशक को सैलरी दिए जाने के लिए पत्र लिखा था।

    सूत्रों की मानें तो कुल 100 अफसरों के पदस्थापन के नाम पर तबादले किए गए हैं, अफसरों की लिस्ट भास्कर के पास है। पदस्थापन के जरिए हुए तबादलों में वित्त नियंत्रक, मुख्य कोषाधिकारी, वरिष्ठ कोषाधिकारी, सामान्य प्रबंधक (वित्त), अपर निदेशक कोषागार, मुख्य कोषाधिकारी, संयुक्त निदेशक कोषागार एवं पेंशन और उप निबंधक स्तर के पूरे प्रदेश भर के अफसर शामिल हैं।

    तबादला सीजन निकलने के बाद किए ट्रांसफर
    इनमें से कई अफसरों का प्रमोशन पहले ही हो चुका था, अगर तबादला सत्र में इन अफसरों के ट्रांसफर करते तो 20 प्रतिशत विभागीय तबादलों की सीमा की बाध्यता सामने आ जाती। इसलिए षडंयत्र के तहत पूरा तबादला सीजन निकल जाने दिया गया और उसके बाद तबादलों की प्रक्रिया को अंजाम दिया।

    यही नहीं देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में आईएएस अफसरों की लंबी फौज होने के बाद भी वित्त और लेखा जैसे महत्वपूर्ण विभाग के पास परमानेंट विभागध्यक्ष नहीं है, अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार के पास वित्त विभाग का अतिरिक्त प्रभार है।

    तबादला नीति के अंतिम तिथि के बाद अधिकारी दिलीप कुमार गुप्ता मुरादाबाद पदस्थापित किए गए।

    तबादला नीति के अंतिम तिथि के बाद अधिकारी दिलीप कुमार गुप्ता मुरादाबाद पदस्थापित किए गए।

    ट्रांसफर हो गए, पर नहीं जानते अपर मुख्य सचिव
    दीपक कुमार से बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने पूरे मामले से अनभिज्ञता जाहिर की। विभाग के भीतर के अफसर और बाबू दबी जबान में विभागीय मंत्री और अफसरों की मिली भगत से इतने बड़े पैमाने पर तबादलों की बात कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की सरकार में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले सुरेश खन्ना वित्त मंत्री हैं। उज्जवल उत्तर प्रदेश का उज्जवल शासन के लिए इससे बेहतर कोई और उदाहरण हो ही नहीं सकता।

    तबादला नीति खत्म होने के बाद 14 जुलाई को कुशीनगर से गोरखपुर ट्रांसफर किए गए।

    तबादला नीति खत्म होने के बाद 14 जुलाई को कुशीनगर से गोरखपुर ट्रांसफर किए गए।

    खनन विभाग में किए गए तबादले
    वित्त विभाग अकेला नहीं है, जहां के अधिकारी मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंक रहे हैं, उनके खुद के खनन विभाग में भी कमोबेश ऐसे ही हालाते मंजर हैं। खनन विभाग के अफसरों की बेअंदाजी का आलम ये है कि सम्बद्धीकरण के नाम पर तबादला सत्र खत्म होने के बाद जुलाई में अफसरों ने बिना मुख्यमंत्री के अनुमोदन के तबादले कर दिए।

    आपको जानकर आश्चर्य होगा कि खनन विभाग में अफसरों के जिलों में सम्बद्धीकरण कि जिस फाइल को मुख्यमंत्री तीन बार पुर्न परीक्षण के लिए वापस भेज चुके हैं, उसी फाइल को तबादला नीति 30 जून को खत्म होने के बाद भी खनन निदेशक ने 14 जुलाई की तारीख में बिना किसी परमीशन के ओके कर दिया और इसके लिए मुख्यमंत्री से अनुमोदन लेना भी जरूरी नहीं समझा।

    सीएम ऑफिस से लौटी दी गई थी फाइल
    विभाग के कुछ अफसरों का कहना है कि इन अफसरों के तबादले का प्रस्ताव शासन के जरिए मुख्यमंत्री कार्यालय को तीन बार भेजा गया था और तीनों बार असहमति व्यक्त करते हुए फाइल को वापस कर दिया गया था। नियम की बात करें तो 30 जून के बाद तबादलों के लिए मुख्यमंत्री का अनुमोदन लेना जरूरी होता है। साथ ही सम्बद्धिकरण पर भी रोक थी। मगर खनन निदेशक रोशन जैकब की कृपा बरसी और अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर उन्होंने 9 अफसरों का दूसरे जिले में सम्बद्धीकरण कर दिया।

    तबादला नीति के खिलाफ जाकर ट्रांसफर किया गया।

    तबादला नीति के खिलाफ जाकर ट्रांसफर किया गया।

    खनन विभाग में इनके हुए ट्रांसफर

    नाम पोस्ट कहां थे नई पोस्टिंग
    डॉ. राजेश कुमार सिंह भूवैज्ञानिक/ क्षेत्रीय प्रभारी अयोध्या खनिज अन्वेषण, लखनऊ
    मिथिलेश कुमार पाण्डेय ज्येष्ठ खान अधिकारी बहराइच क्षेत्रीय प्रभारी, गोरखपुर
    सतीश कुमार भारती सहायक भूवैज्ञानिक अलीगढ़ और हाथरस लखनऊ मुख्यालय
    मनीष यादव खान अधिकारी लखनऊ मुख्यालय अलीगढ़ और हाथरस
    बीपी यादव ज्येष्ठ खान अधिकारी झांसी लखनऊ मुख्यालय
    राघवेन्द्र सक्सेना भूवैज्ञानिक/क्षेत्रीय प्रभारी आगरा गाजियाबाद
    राम पदारथ सिंह ज्येष्ठ खान अधिकारी आजमगढ़/मऊ खनन प्रशासन, झांसी
    आर बी सिंह ज्येष्ठ खान अधिकारी आगरा क्षेत्रीय प्रभारी आगरा की अतिरिक्त जिम्मेदारी

    मामले में रोशन जैकब का कहना है कि कोई भी जिलाधिकारी बिना खनन अधिकारी के काम करने को राजी नहीं होता, इसलिए अग्रिम आदेशों तक निर्देशित करके ये तबादले फिलहाल किए गए हैं।

    विधायकों ने भी खुलकर आरोप लगाए
    इसके अलावा भी तमाम ऐसे विभाग हैं, जहां नौकरशाह मनमानी पर उतारू हैं मगर इस सरकार में सरकार की कमियों के बारे में लिखना, सरकार की इमेज के साथ छेड़छाड़ की श्रेणी में आ चुका है। श्री राम की जन्मभूमि अयोध्या तक में भ्रष्टाचार की बदबू चारों और फैली है जिसका खुलासा लोकसभा में पेश हुई कैग रिपोर्ट से हुआ था।

    विभागों में फैले कोढ़ रूपी भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को ही कटघरे में खड़ा कर दिया और एक शाही फरमान जारी कर दिया है कि शासन सत्ता के खिलाफ लिखा तो खैर नहीं। प्रमुख सचिव संजय प्रसाद का वो फरमान भ्रष्टाचारियों को बल देने वाला है। अब तो विधानसभा में भी योगी सरकार के अफसरों की मनमानी पर कई विधायकों ने खुलकर आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं।

    जीरो टालरेंस के खोखलेपन का पर्दाफाश
    यूपी विधानसभा में पेश लोकल ऑडिट रिपोर्ट ने प्रदेश की योगी सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस के खोखलेपन का पर्दाफाश किया है। आबकारी, बिजली, नगर विकास और स्टाम्प निबंधन समेत तमाम वो विभाग जिससे राज्य को बड़ी मात्रा में राजस्व मिलता है उसमें हजारों करोड़ की अनियमितता पाई गई है।

    • शराब में 1276 करोड़ का नुकसान
    • स्टांप एवं निबंधन विभाग 351. 30 करोड रुपए की चपत लगाई
    • निकायों और प्राधिकरणों में 8170 करोड रूपए की मिली अनियमितता
    • बिजली विभाग में 36. 22 करोड रुपए की सामने आई अनियमितता
    • चिकित्सा शिक्षा विभाग में 746.22 करोड रुपए का नुकसान
    • सिर्फ विकास प्राधिकरणों में 3362 करोड़ रुपए के अनियमितताएं पाई गयी हैं।

    डर के आगे जीत है…इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए यूपी के अफसरों ने डरना ही छोड़ दिया है। अफ़सर जानते हैं कि चाहें कितनी भी बड़ी गलती कर लें मुख्यमंत्री कोई एक्शन नहीं लेते इसलिए वो डरते भी नहीं। योगी के पहले कार्यकाल के मुकाबले दूसरा कार्यकाल हर रोज भ्रष्टाचार की नई इबारत लिख रहा है ? क्या मुख्यमंत्री महंत योगी आदित्यनाथ की सख्ती का बुलडोजर कभी अपने मातहतों की तरफ भी घूमेगा? या पारदर्शिता की बातें महज कागजी है।

    इस लिंक को भी पढ़ें…

    डिप्टी सेक्रेटरी, जिनका 8 साल में 3 बार ट्रांसफर रोका:प्रवीण सिंह IAS की शिकायतें देखते हैं, अपर मुख्य सचिव बोले-उनके अनुभव का फायदा मिल रहा

    यूपी की ब्यूरोक्रेसी के रंग भी अजब-गजब हैं। सालों से एक ही विभाग में जमे एक डिप्टी सेक्रेटरी लेवल के अफसर के ट्रांसफर का आदेश जारी हुआ। मगर, एक हफ्ते में ही डिप्टी सेक्रेटरी को खास अनुभाग से न हटाने के लिए विभाग के अपर मुख्य सचिव स्तर के IAS ने मुख्य सचिव को चिट्ठी लिख दी। पूरी खबर पढ़ें…

    खबरें और भी हैं…



    Source link

    Latest Posts

    Don't Miss

    Stay in touch

    To be updated with all the latest news, offers and special announcements.