मेरठ16 मिनट पहले
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मेरठ के चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री बनवाने का मामला सामने आया है। जहां CCSUकी डिग्री के नाम पर छत्तीसगढ़ में शिक्षकों ने सरकारी नौकरी पा ली। जब डिग्री की जांच हुई तो पता चला कि वो डिग्री कभी CCSU से जारी नहीं हुई। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर का यह पूरा मामला सामने आया है।
डीएड का कोर्स नहीं उसकी डिग्री लगाई
सीसीएसयू में कभी कॉपी मूल्यांकन घोटाला, भ्रष्टाचार के कांड तो होते रहते हैं। अब डिग्री में फर्जीवाड़ा सामने आया है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू) की फर्जी डिग्री पर छत्तीसगढ़ में सात लोगों ने सरकारी शिक्षक की नौकरी पा ली। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर के बीएसए को शैक्षिक दस्तावेजों पर संदेह हुआ तो उन्होंने यहां विवि से सत्यापन कराया। इसमें यह फर्जीवाड़ा सामने आया। मुख्य बात यह कि सीसीएसयू में जो डीएड कोर्स ही नहीं है, उसकी डिग्री लगाकर शिक्षिका ने यह सरकारी नौकरी हासिल कर ली। सीसीएसयू ने दस्तावेजों की जांच रिपोर्ट छत्तीसगढ़ भेज दी है।
बीएसए को डाउट हुआ तो कराई जांच
छत्तीसगढ़ के जिला सूरजपुर के स्वामी आत्मानंद शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय (अंग्रेजी माध्यम) में पिछले दिनों तमाम पदों पर भर्ती निकली थी। स्कूल में व्याख्याता, प्रधान पाठक, शिक्षक, सहायक शिक्षक, सहायक शिक्षक प्रयोगशाला पद पर भर्ती हुई। सूरजपुर के बीएसए को तीन महिला समेत 7 लोगों की डिग्रियों पर संदेह हुआ। इस डाउट के चलते इन लोगों की डिग्रियों की जांच हुई। सीसीएसयू से भी डिग्रियों की जानकारी ली गई। जांच में पता चला कि 2020 की एमएससी, 2019 की एमएड, 2022 की एमए, 2014 की डीएड, 2022 की बीसीए और एमए की डिग्री फर्जी हैं। इन पर अंकित अंक विवि के मुख्य रजिस्टर पर अंकित अंकों से मेल नहीं खा रहे। इस पर विवि ने दस्तावेज फर्जी होने के बारे में सूरजपुर में बीएसए को बताया गया।
2014 में डीएड के लगाए कागज
शिक्षिका ने सरकारी नौकरी के लिए सीसीएसयू की डीएड के कागज लगाए। उसने सीसीएसयू से वर्ष 2014 में डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) के दस्तावेज लगाए हैं, लेकिन यहां अभी तक डीएड कोर्स शुरू ही नहीं हुआ है। डीएड दो साल का डिप्लोमा कोर्स है। इसमें बच्चों को पढ़ाने का तरीका, साइकोलॉजी समझना, क्लासरूम का मैनेजमेंट आदि पढ़ाया जाता है।
बैंगलुरू में डिग्री बेचने का हो चुका खुलासा
सीसीएसयू में अभी दो महीने पहले ही बैंगलुरु में स्नातक, बीएड व पीएचडी की डिग्री बेचने का मामला आया था। इससे पूर्व गुजरात, पंजाब, उत्तराखंड, गुजरात, बिहार, पश्चिमी बंगाल, अरुणाचल से कई मामले आए थे। माना जा रहा है कोई गिरोह इसके पीछे सक्रिय है जो जगह बदलकर ऐसे लोगों को ठगता फिरता है। बैंगलुरू पुलिस ने बताया था कि पीएचडी की डिग्री आठ-दस लाख, बीएड की चार-पांच लाख व स्नातक की डिग्री 50-60 हजार रुपये में बनाई गई थी।