बांदाएक घंटा पहले
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देश और उत्तर प्रदेश की सरकार किसानों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का पिटारा खोले रहती है। इसके बाद भी किसान आत्महत्या करने को मजबूर होता है ऐसा ही एक मामला जनपद बांदा से सामने आया है। जहां एक किसान ने अपनी खपरैल की घन्नी से साड़ी का फंदा बनाकर झूल गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
परिजनों ने बताया कि उसके ऊपर किसान क्रेडिट कार्ड का एक लाख और तीन लाख रुपये की उसने एक मैजिक फाइनेंस कराई थी, जिससे उसकी जीविका चलती थी। गाड़ी की क़िस्त न जमा करने के कारण कंपनी उसकी गाड़ी खींच ले गई थी, जिससे किसान तनाव में रहता था। खेती योग्य जमीन भी उसने गिरवी रखी हुई थी कर्ज का दबाव और भरन पोषण की समस्या जब किसान को कोई रास्ता नही दिखाई दिया तो उसने ये घातक कदम उठाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

आपको बता दें कि मामला जनपद के बांदा सदर तहसील के ग्राम बेंदा का है। जहां के निवासी ललित सिंह उम्र 39 साल के है। आर्थिक तंगी औऱ कर्ज से परेशान ललित ने शाम को खपरैल पर साड़ी से फंदा लगाकर उसमे झूल गया। परिजनों को जानकारी होने के बाद परिजन ने उसको फंदे से उतारा जब तक ललित के जान जा चुकी थी। मृतक के भाई ने तुरंत सूचना पुलिस को दी मौके पर पहुँची पुलिस ने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिये भेज दिया।
आर्थिक तंगी के चलते था परेशान
मृतक के भाई ने बताया कि ललित इस समय आर्थिक तंगी के चलते परेशान चल रहा था। यहां तक कि उसने मानसिक तनाव के चलते कल रात खाना भी नही खाया था। मृतक किसान के भाई सुजान सिंह ने बताया कि किसान क्रेडिट कार्ड से चार लाख रुपये का कर्ज ले रखा था, जिसकी नोटिस बैंक बार बार भेज रहा था। साथ ही उसने अपनी खेती योग्य जमीन को गिरवी रख रखा था। जीविका चलाने के लिए उसने महिंद्रा फाइनेंस से उसने मैजिक ली थी। जिसकी क़िस्त न जमा होने के कारण फाइनेंस कंपनी गाड़ी खींच कर ले गई थी। तीन बेटे और तीन बेटियां सबसे छोटी एक सप्ताह पहले हुई थी।

मानसिक रूप से था प्रताड़ित
बैंक का कर्ज और गाड़ी खींच जाना कही न कही किसान को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रही थी। परिवार का भरण पोषण की जिम्मेदारी औऱ आमदनी के नाम पर उसके पास कुछ नही बचा था। ऐसे में किसान के पास मौत के अलावा कोई दूसरा रास्ता नही राह जाता तो ललित ने भी वही कदम उठाया और मौत को गले लगा लिया।
सरकार सरकार किसानों के लिए योजनाएं तो बहुत निकालता है पर क्या वो योजनाएं किसान को लाभ पहुंचा पाती है। बुंदेलखंड के किसान को सूदखोर बैंक और मौसम की मार उबरने ही नही देती है, जिसके चलते किसान घातक कदम उठाने को मजबूर हो जाता है। ललित की मौत के बारे में जब जिला प्रशासन से बात की गई तो प्रशासन ने सीधे तौर पर किसान की मौत को नकार दिया और समय के मारे किसान को मानसिक विक्षिप्त बताकर मामले से दरकिनार हो गए।