लखनऊ15 मिनट पहलेलेखक: ज्ञानेंद्र कुमार शुक्ला
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थलाईवा..यानी लीडर या फिर बॉस। निर्विवाद रूप से फिल्म इंडस्ट्री में स्टाइल के मामले में थलाईवा ही हैं रजनीकांत। जिनके देखने से लेकर चलने तक के प्रशंसक कायल रहते हैं। वो सिर्फ सिगरेट होंठों के बीच दबाए, तो भी अदाओं का धुआं उठा दें। उंगलियों से लहरा कर चश्मा पहनें, तो प्रशंसकों के चेहरे दमक जाएं। जिसके देखने के अंदाज पर लोग मुरीद हो जाएं, सुध-बुध खो बैठें।
रुपहले परदे का यह सितारा जब खुद से उम्र में 30 साल छोटे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के चरण स्पर्श कर अभिवादन करे, तो फिर थलाईवा की यह अदा भी कैसे चर्चा से मरहूम रह जाती..? लखनऊ आए तो थे वह अपनी फिल्म जेलर के प्रमोशन के लिए, लेकिन योगी के पैर छूकर थलाईवा ने यूपी के सीएम का सियासी सेंसेक्स चढ़ा दिया है।
रजनीकांत के योगी के पैर छूने पर उठा विवादों का तूफान

इस दौरान उन्होंने CM योगी के पैर छू लिए थे, जिसे लेकर वो खूब ट्रोल हुए थे।
एक तरफ योगी और रजनीकांत की ट्रोलिंग रफ्तार पकड़ रही है। दूसरी तरफ विरोधियों ने बीजेपी के शीर्ष नेता और पीएम नरेंद्र मोदी पर भी तंज का मौका ढूंढ लिया है। रजनीकांत की तरह ही दक्षिण भारत से हिंदी सिनेमा जगत तक अपने अभिनय की छाप मनवाने वाले कन्नड़ अभिनेता और बीजेपी के धुर विरोधी माने जाने वाले सिनेस्टार प्रकाश राज ने आनन-फानन में इस घटनाक्रम को लपक लिया।
इस मुलाकात को मोदी बनाम योगी का रंग देते हुए तंज भरा ट्वीट करके अपनी भड़ास निकालने का मौका बिल्कुल नहीं गंवाया। बयानों की कड़ी में एक और आयाम जोड़ते हुए कांग्रेस नेता उदितराज ने कहा कि योगी को भविष्य में पीएम के तौर पर देखे जाने पर बहस चल रही है। वरना ये शिष्टाचार अभिनेता ने पीएम मोदी के लिए नहीं दिखाया। रजनीकांत को भविष्य के पीएम की झलक दिख रही है।
सीएम के पैर छूने के मुद्दे पर वार-पलटवार-दलील

सुपर स्टार रजनीकांत राम जन्मभूमि आए, जहां रामलला का दर्शन-पूजन किया। इस दौरान राम मंदिर देखने पहुंचे।
दरअसल, अपनी फिल्म ‘जेलर’ के प्रमोशन के लिए लखनऊ पहुंचे सुपर स्टार रजनीकांत ने जब यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के पैर छुए, तो ये तस्वीर सोशल मीडिया में खूब वायरल हुई। ट्विटर पर ट्रेंड हो गई।
दक्षिण भारतीय फिल्मों के इस महानायक की सपा सुप्रीमो से भी मुलाकात हुई। अपने ‘9 साल पुराने इस दोस्त’ से गले लगते हुए अखिलेश ने ट्विटर पर एक फोटो साझा की। जिसमें लिखा, ‘जब दिल मिलते हैं तो लोग गले मिलते हैं।’
उधर, 72 साल के रील महानायक के 51 साल के सियासी दिग्गज के पैर छूने के मामले ने ट्रोलजीवियों को भी मसाला थमा दिया। मुद्दे के पक्ष-विपक्ष में जमकर नूराकुश्ती हुई। विवाद गहराया, तो रजनीकांत से सफाई दी कि ऐसा करना उनकी आदत में शुमार है। चाहे कोई संन्यासी हो या योगी, उनके पैरों को छूना उनकी आदत है। भले ही ऐसा शख्स उम्र में छोटा क्यों न हो।
रील लाइफ के हीरो का रियल लाइफ पॉलिटिक्स में ऊंचा कद

यह उस समय का फुटेज है, जब शनिवार दोपहर करीब तीन बजे रजनीकांत रामलला के दर्शन करने अयोध्या पहुंचे थे।
गौरतलब है कि रजनीकांत भले ही रुपहले पर्दे के नायक हों, लेकिन सियासी धरा पर भी उनका किरदार खासा असरदार रहा है। अपनी पार्टी ‘रजनी मक्कलम मंदरम’ (आरएमएम) बनाकर चुनावी दंगल में उतरने के लिए कमर कस रहे रजनीकांत ने सबको चौंकाते हुए साल 2021 के तमिलनाडु चुनाव के ऐन पहले न सिर्फ अपनी पार्टी भंग कर दी। बल्कि, सियासत से तौबा करने का भी ऐलान कर दिया।
मगर, ये बात दीगर है कि रील के इस महानायक का रियल लाइफ में बड़ा कद रहा है। साल 1996 में जयललिता की सरकार को उखाड़ कर करुणानिधि की ताजपोशी में अहम किरदार निभाया था रजनीकांत ने।
पहले भी बीजेपी से नजदीकियों के कयास लगे थे
रजनीकांत ने कश्मीर से धारा-370 हटाए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया था। वहीं, वैंकेया नायडू की किताब विमोचन के अवसर पर मोदी-शाह के कसीदे भी पढ़े थे। तब उन्होंने कहा था, ‘‘मोदी और अमित शाह कृष्ण और अर्जुन की तरह हैं। नहीं पता कि इसमें कृष्ण कौन है और अर्जुन कौन? ये केवल वे ही जानते हैं।” हालांकि बाद में उठे विवाद पर सफाई देते हुए रजनीकांत ने कहा था कि कुछ लोग उनका भगवाकरण करना चाहते हैं, पर वह इसमें फंसेंगे नहीं।

यह ये शनिवार की फुटेज है, जब रामलला का आशीर्वाद लेकर रजनीकांत लखनऊ के लिए रवाना हुए थे।
फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान के लिए चुने जाने पर उठा था विवाद
दो साल पहले दादा साहब फाल्के अवॉर्ड के लिए रजनीकांत के नाम के चयन पर सियासी गलियारों में हलचल मच गई थी। इसे तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में फैंस वोटों को साधकर चुनावी फायदा उठाने के बीजेपी के दांव से जोड़ कर भी देखा गया। इस फैसले की टाइमिंग को लेकर विपक्षी खेमे ने खासी तल्खी जताते हुए ऐतराज दर्ज कराया था।
सियासत में कूटनीतिक नजरिए से पैर छूने की अहमियत
वैदिक संस्कृति से लेकर मध्यकाल होते हुए पैर छू लेना सामाजिकता का हिस्सा रहा है। संगीत-कला जगत में गुरु-शिष्य परंपरा का ये अटूट हिस्सा है। अब इससे जुड़ी आध्यात्मिक-मानसिक-वैज्ञानिक वजहों को लेकर भले बहस हो, पर सियासत में पैर छूना ऐसी परंपरा रही है जिसके खास मायने होते हैं। यही वजह है कि पैर छूने के कई किस्से सियासत-सत्ता के गलियारों में जमकर गूंजे, खूब सुर्खियां बटोरीं।

लखनऊ में शनिवार को रजनीकांत ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात की। इसके बाद डिप्टी सीएम के साथ फिल्म ‘जेलर’ देखने गए।
पीएम मोदी से जुड़ी पैर छूने के वाकये
10 साल पहले सितंबर, 2013 में भोपाल में हुए कार्यकर्ता महाकुंभ में बीजेपी के तत्कालीन पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने बीजेपी के शिखर पुरुष लालकृष्ण आडवाणी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया तो इसकी जबरदस्त चर्चा हुई।
बीते साल फरवरी महीने में यूपी के विधानसभा चुनाव में उन्नाव की चुनावी रैली में बीजेपी जिलाध्यक्ष अवधेश कटियार ने राम की प्रतिमा भेंट कर पैर छुए, तो तुरंत पीएम मोदी ने उन्हें टोका। साथ ही इशारे से जताया कि वो नहीं चाहते कि कार्यकर्ता-पदाधिकारी उनके पैर छुएं।
इसके बाद खुद पीएम मोदी ने कटियार के पैर छू लिए। इस साल मई महीने में विदेश यात्रा पर निकले पीएम मोदी ज्यों पापुआ न्यू गिनी के हवाई अड्डे पर उतरे, तो उनके स्वागत में पहुंचे पीएम जेम्स मारापे ने उनके पैर छूकर स्वागत किया। ये तस्वीर सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो गई। विरोधियों ने तंज कसे, तो उत्साहित समर्थकों ने इसे पीएम की अगुवाई में दुनिया में भारत के बढ़ते सम्मान से जोड़ा।
सियासी मंच पर बहू ने बुआ के पैर छूकर लिया आशीर्वाद
यूपी में 2019 के आम चुनाव में तल्खियां भुलाकर सपा-बसपा संग आए, तो कन्नौज में महागठबंधन की रैली हुई। इसमें सैफई परिवार की बहू डिंपल ने मंच पर बसपा सुप्रीमो मायावती के पैर छुए, तो बुआ ने भी सर पर हाथ फेर कर आशीर्वाद देने में कोताही नहीं की।
हालांकि कैमरों में कैद हुई यूपी की सियासत की ये तस्वीर सुर्खियों में छा गई। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी सीट से सांसद चुने जाने के बाद सदन में जब सोनिया गांधी के पैर छूकर आशीष लिया, तो उसकी भी जमकर चर्चा हुई।
चरण स्पर्श की कवायद-दक्षिण की सियासत के संदेश
कभी जयललिता के दौर में न सिर्फ उनके समर्थक पैर छूते थे, बल्कि उनके सामने साष्टांग दंडवत हो जाया करते थे। सामाजिक जीवन की पैर छूने की सामान्य परंपरा के सियासत में असाधारण मायने होते हैं। कई राजनीतिक पंडित योगी के पैर छूने को थलाईवा के फैंस क्लब तक योगी की साख को पुख्ता करने के तौर पर आंक रहे हैं।
बीते दिनों हैदराबाद में योगी के जीवन पर आधारित नॉवेल ‘अजय टू योगी आदित्यनाथ’ की लांचिग को दक्षिणी हिस्से में बीजेपी की सक्रियता से जोड़कर देखा गया. हालांकि एक तबका अखिलेश यादव से रजनीकांत के गले मिलने को विपक्षी महागठजोड़ I.N.D.I.A के हक में आंक रहा है, तो एक बड़ी जमात उन लोगों की भी है जो थलाईवा के सीएम योगी के पैर छूने को दक्षिण की सियासत में बड़े सकारात्मक सियासी संदेश के तौर पर भी देख रहा है।
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साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत इन दिनों दो वजहों से चर्चा में हैं। एक तरफ तो उनकी फिल्म ‘जेलर’ बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ रजनी को सोशल मीडिया पर UP के CM योगी आदित्यनाथ के पैर छूने के लिए ट्रोल किया जा रहा है।ये खबर भी पढ़ें