कानपुर/उन्नाव43 मिनट पहले
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बाढ़ में घिरे लोग गांव से पलायन कर दूर रोड पर आ गए हैं। सड़क किनारे तिरपाल तानकर उसी में गुजारा कर रहे। नावें सड़क पर चल रही हैं।
कानपुर के गंगा किनारे स्थित भोपाल पुरवा गांव में लोगों के घर और खेती दोनों ही बाढ़ में डूब गए हैं। गांव में नावें चल रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। वर्ष-2010 में ऐसी बाढ़ देखने को मिली थी। भैंसों और जानवरों को चारा खिलाने तक नहीं बचा है। कानपुर के 22 और शुक्लागंज-उन्नाव के 50 से अधिक गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं।
पहले आपको ग्रामीणों की जुबानी पढ़ाते हैं…
पहले भारतपुरवा का जानते हैं। यहां के रवि कुमार निषाद का कहना है कि गांव में बाढ़ से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। गांव से पलायन कर रोड पर आ गए हैं। रवि ने बताया कि यहां पानी पीने तक की व्यवस्था नहीं है। लाइट तक नहीं है। हरी सब्जियों की फसल पूरी तरह खत्म हो गई है। पशुओं के लिए हरा चारा तक नहीं बचा है। लेखपाल आते हैं और देखकर चले जाते हैं। प्रधान तक नहीं आए।

कानपुर के 22 और शुक्लागंज उन्नाव के 50 से अधिक गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं।
भारतपुरवा गांव के निवासी गया प्रसाद ने बताया कि गांव में बाढ़ का पानी घुसता जा रहा है। धंधा-पानी पूरी तरह डूब गया है। राहत शिविरों के बारे में किसी ने कोई जानकारी नहीं दी है। इसलिए रोड किनारे रहने को मजबूर हैं। सब कुछ अपने स्तर से ही झुग्गी बनाए हैं।
यहीं हाल बिठूर के इसजा गांव निवासी रामकेश ने भी बताया। उन्होंने कहा कि उनके गांव में पानी नहीं पहुंचा है। लेकिन, गांव चारों तरफ से पानी से घिर चुका है। अगर पानी चढ़ता गया तो हम लोगों को भी झुग्गी बनाकर रोड पर रहना पड़ेगा। पूरी रात जाग-जागकर कट रही है। फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं।

रवि ने बताया कि यहां पानी पीने तक की व्यवस्था नहीं है। लाइट तक नहीं है। फसल पूरी तरह खत्म हो गई है।
अब आपको गांवों में देखा हाल बताते हैं…
सबसे पहले दैनिक भास्कर की टीम गांवों से पलायन कर मुख्य मार्ग सिंहपुर रोड पर आकर रह रहे लोगों के पास पहुंची। यहां कुछ ग्रामीण अपने लिए रहने का बंदोबस्त करने में जुटे थे। ग्रामीणों ने बताया कि राहत शिविरों की जानकारी न होने के चलते वे मुख्य मार्गों पर आ गए हैं। लोग यहां अपने-अपने तिरपाल डालकर रहने को मजबूर हैं। अपने जानवरों को भी यहीं पर बांधे हैं। खुले में रात बिताने को मजबूर हैं। इसके साथ ही मुख्य मार्ग में तेज रफ्तार वाहनों की चाल से भी डर जा रहे हैं।
भारतपुरवा और इसजा गांव के रास्ते तक जलमग्न हैं। यहां पास ही स्थित स्कूल में 2 फीट तक पानी चढ़ गया है। हालांकि अभी यहां लोग बाइक से आ-जा रहे हैं। लोग गांव खाली कर सड़कों तक पहुंच गए हैं। जानवरों को भी मुख्य मार्ग पर बांध दिया है।

लोगों को आने आने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। बाढ़ से हालात लगातार खराब होते जा रहे हैं।
भारतपुरवा गांव से करीब 2 किमी. दूर स्थित टीम भोपाल पुरवा पहुंची। यहां गांव में घुसने से पहले ही घुटनों तक पानी चढ़ा था। यहां भोपाल पुरवा से भगवानदीनपुरवा के रास्ते तक गले तक पानी चढ़ा है। कहीं-कहीं पर पानी कमर तक भी है। यहां के ज्यादातर घर पूरी तरह डूब गए हैं। इसके अलावा जल निगम का पंपिंग स्टेशन और फॉर्म हाउस पांच-पांच फीट तक डूब गए हैं। यहां दैनिक भास्कर टीम ने नाव से आगे बढ़ते हुए बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का हाल देखा। भगवानदीनपुरवा गांव पूरी तरह खाली कराया जा चुका है।
करीब 16 परिवारों को कांशीराम प्राथमिक स्कूल में रखा गया है। वहीं पर भोजन-पानी की व्यवस्था की जा रही है। 50 से अधिक लोगों ने बैराज से सिंहपुर जाने वाले मार्ग के दोनों तरफ तिरपाल लगाकर आशियाना बना लिया है। वहीं पर जानवर भी बांधे हैं।
अधिकारी निरीक्षण कर लौट रहे
सबसे ज्यादा मुसीबत पट्टे पर खेती करने वालों पर है। शुक्रवार दोपहर 12 बजे एडीएम एफआर राजेश कुमार और तहसीलदार रितेश कुमार ने नाव से तीन गांवों का निरीक्षण किया। साथ ही चैनपुरवा में 42 परिवारों को राशन किट बांटी और बैराजमार्ग पर रह रहे लोगों को करीब 100 तिरपाल भी बांटे।

भारतपुरवा और इसजा गांव के रास्ते में पानी भर चुका है। इस इलाके में नावें चल रही हैं।
13 साल बाद भारतपुरवा गांव में घुसा पानी
गंगा बैराज किनारे भारतपुरवा गांव में रात को पानी भर गया। करीब 15 परिवारों ने जानवर और वाहन लेकर बैराज से सिंहपुर मार्ग पर आशियाना बना लिया। गांव के किसान गया प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2010 में गांव में पानी भरा था इसके बाद इस बार पानी घुसा है। करीब 100 बीघा फसल बर्बाद हो गई है।

गंगा बैराज किनारे भारतपुरवा गांव में रात को पानी भर गया। करीब 15 परिवारों ने जानवर और वाहन लेकर बैराज से सिंहपुर मार्ग पर आशियाना बना लिया।
कानपुर के बाढ़ से प्रभावित गांव
- कोहना चौकी के पूरब की ओर चैनपुरवा, धारमखेड़ा, दिगनीपुरवा, पहाड़ीपुर, छोटा मंगलपुर।
- बैराज से सिंहपुर की ओर भोपालपुरवा, बनियापुरवा, बंगला, पुराना ढल्लापुरवा, गिल्ली का पुरवा, दुर्गा का पुरवा, भगवानदीनपुरवा।
- जाजमऊ से उन्नाव की ओर जाने गांव, छब्बूपुरवा, गुट्टीपुरवा, निहालखेड़ा, नई बस्ती, नया पीपरखेड़ा, पुराना पीपरखेड़ा, दीनकनगर, बदुवाखेड़ा, जुराखनखेड़ा।

भोपाल पुरवा से भगवानदीनपुरवा के रास्ते तक गले तक पानी चढ़ा हुआ है। कहीं-कहीं पर पानी कमर तक भी है।
अब आपको शुक्लागंज उन्नाव के हाल बताते हैं….
गंगा की बाढ़ का पानी तटवर्ती गांव भुड्डा से मेला आलम शाह संपर्क मार्ग को ध्वस्त करते हुए साईपुर सगौड़ा और छतरापुर तक जा पहुंचा है। जिससे छतरापुर, कोलिया, हसनापुर, कछियन पुरवा vkSj बजरिया सहित 10 से ज्याादा गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं।
बाढ़ का पानी पूराहास और उमरिया भगवंतपुर के सामने स्थित जगत नगर-सहजनी मार्ग के ऊपर से गुजरते हुए जिरिकपुर, जामड़, कछियन खेड़ा आदि गांवों में कहर बरपाता हुआ ग्राम माढ़ापुर के तालाब तक जा पहुंचा है। आज बांगरमऊ-बरुआ घाट मार्ग से निकल कर मुड़ेरा, सकरौली, दौलतपुर व दशहरी आदि गांव भी बाढ़ग्रस्त हैं।

शुक्लागंज के बाढ़ प्रभावित गांव वालों ने बताया कि राहत शिविरों की जानकारी न होने के चलते वे मुख्य मार्गों पर आ गए हैं। यहीं तिरपाल में गुजारा कर रहे हैं।
इन गांवों में भी घुसा बाढ़ का पानी
उफनाई गंगा के कारण नगर व ग्रामीण क्षेत्रों के सैकड़ों मकान जलमग्न हो गए हैं। चंपापुरवा, मनसुख खेड़ा, तेजीपुरवा के निचले इलाके । गगनी खेड़ा, इंद्रा नगर, रविदास नगर, श्री नगर, गंगा नगर, रहमत नगर, अहमद नगर, भातूफार्म, गायत्री नगर, आजाद नगर व नई बस्ती, ठाकुर खेड़ा, नाथू खेड़ा, नेतुआ, नरबीजपुर, सरैयां, कटरी पीपर खेड़ा, कटरी पीपर खेड़ा गैरएहतमाली, आलम नगर, अखलॉक नगर, अवस्थी फार्म हाउस, सरैयां समेत कई गांवों में पानी घुस गया है।
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